श्रीं कृष्णानंद सागर
कविवर विशाल जो भाव पक्ष के प्रमुख रचनाकार हैं। इसकी छटा प्रस्तुत पुस्तक के अतिरिक्त उनके महाकाव्य 'अथ श्री कृष्णा "नन्द सागर" में देखी जा सकती है।
कविवर विशाल जो भाव पक्ष के प्रमुख रचनाकार हैं। इसकी छटा प्रस्तुत पुस्तक के अतिरिक्त उनके महाकाव्य 'अथ श्री कृष्णा "नन्द सागर" में देखी जा सकती है। कवि की लेखनी संसार में सुसुप्त आत्माओं को जाग्रत कर परब्रह्म के अखण्ड आनन्द दिलाने के लिए दुन्दुभि उद्घोष कर रही है, इन्हीं पंक्तियों की प्रेरणा से पलन पकाशन आप सभी के सम्मुख है। प्रस्तुत पुष्पाञ्जली के सम्पादन करते समय ऐसा अहसास हुआ कि कविवर विशाल जी के काव्य पर एक सम्यक दृष्टि डाली जाये और उसके उन करोदि के साहित्य को जनमानस के सम्मुख सुचारू रूप से प्रस्तुत किया जाय, ताकि हिन्दी साहित्येतिहास में विशाल जी द्वारा की जा रही अनुपम सेवा जनमानस में प्रवाहित हो सके अतब किसी मुर्धन्य साहित्यकार एवं समीक्षक से एक समीचीन भूमिका लिखवाकर इसमें संग्रहीत किया जाये। लेखन एवं सम्पादन में सिद्धहस्त तथा बहुप्रसंशित श्री छत्रसाल काव्याञ्जलि के सफल सम्पादक धर्मभूषण' कुजबिहारी सिंह धर्म विशारद एम०ए० से इस संदर्भ में अनुरोध करने पर प्राप्त भूमिका को प्रस्तुत पुस्तक में प्रकाशन किया गया है ।
विश्व-संस्कृति में गीत विधा हर भाषा भाषी जनों को अमूल्य धरोहर है । जिस में शान्ती एवं व्याकुल मन को शान्ति देने में एक मात्र गीत स्वर लहरो हो अनुपम औषधि है । कविवर विशाल जी रचित प्रस्तुत पुष्पाञ्जलि हिन्दी काव्य धारा की एक सशक्त कृति । आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इस पुस्तक को आत्मिक श्रद्धा एवं उल्लिसित हृदय से जरूर आद्योपान्त गुनगुनायें ।
कविवर विशाल जो भाव पक्ष के प्रमुख रचनाकार हैं। इसकी छटा प्रस्तुत पुस्तक के अतिरिक्त उनके महाकाव्य 'अथ श्री कृष्णा "नन्द सागर" में देखी जा सकती है।
प्रस्तुत पुष्पाञ्जली के सम्पादन करते समय ऐसा अहसास हुआ कि कविवर विशाल जी के काव्य पर एक सम्यक दृष्टि डाली जाये ताकि हिन्दी साहित्येतिहास में विशाल जी द्वारा की जा रही
लेखन एवं सम्पादन में सिद्धहस्त तथा बहुप्रसंशित श्री छत्रसाल काव्याञ्जलि के सफल सम्पादक धर्मभूषण' कुजबिहारी सिंह धर्म विशारद एम०ए० से इस संदर्भ में अनुरोध करने पर प्राप्त भूमिका प्रकाशन किया गया है ।